A Poetry in Solidarity with People of Gaza, Palestine in midst of a Genocide [Hindi] ए ग़ज़्ज़ा, तुझसे तेरे दर्द का फ़साना कहूँ..

Intro: ए ग़ज़्ज़ा, तुझसे तेरे दर्द का फ़साना कहूँ, तेरी मिट्टी से वफ़ा का अफ़साना कहूँ। शहीदों के लहू से जो तेरी ज़मीं सुर्ख है, तेरी मिट्टी को साक़ी कहूँ कि पैमाना कहूँ। (Chorus group chorus): ए ग़ज़्ज़ा, तुझसे तेरे दर्द का फ़साना कहूँ Verse 1: ये ख़ामोश हवाएँ, और सिसकते हुए दिल, एक तरफ़ […]

[Poem] Shaitan…

[Verse 1] तुम्हें लगता है न कि शैतान के सींघ होते हैं हाँ, मैं भी यही सोचता था पर सच ये है की [choir] [Harmonies] सलीके से सँवरे हुए बाल.. पहनता है वो सूट और टाई.. दिखता है बेमिसाल.. [group vocals] तुम्हे चौंका देगा वो … तुम्हे धोका देगा वो पीठ में देगा वो खंजर […]